जादुई लेखक (Jadui kahaniya new)- (hindi ki romanchak kahaniya) आधुनिक कहानी संग्रह:
ये कहानी ऐसे कहानीकार की है, जिसकी क़लम ने उसे जादुई लेखक बना दिया | दरअसल बात प्राचीन काल की है | एक राज्य में एक कहानीकार रहता था | उसे अक्सर अकेले ही रहना पसंद था | वह कई कई घंटों, अपनी किताब लिखने में ही व्यस्त रहता था | एक बार वह पहाड़ी पर अपना थैला लेकर, एकांत ढूंढने के लिए निकल जाता है | पहाड़ी के ऊँचाई पर पहुँचते ही, कहानीकार को एक गुफा नज़र आती है और वह गुफा के अंदर प्रवेश कर जाता है और वहीं बनीं पत्थर की कुर्सी पर बैठ जाता है | कुर्सी पर बैठते ही, कहानीकार पवित्र आत्मा की तरह प्रकाशित हो जाता है और उसके चारों तरफ़ रौशनी की तेज चमक बिखर जाती है | लेकिन वह अपनी ही धुन में कहानी लिखना प्रारंभ कर देता है और कई घंटों तक कहानी लिखता रहता है | सारी रात गुज़र जाती है और सुबह होते ही, कहानीकार अपनी लिखी हुई किताब को लेकर बाहर आ जाता है | लेकिन अब वह कुछ अलग हो चुका था | उसके बर्ताव से ऐसा लग रहा था, मानो उसे दुनिया का संपूर्ण ज्ञान मिल चुका है | जैसे ही, कहानीकार अपने घर पहुँचता है, वह अपनी कहानी पढ़ने के लिए, एक बुजुर्ग व्यक्ति को अपने पास बुलाता है, जो अक्सर उसकी कहानियाँ पढ़ा करते और उसे प्रोत्साहित किया करते थे | जैसे ही बुज़ुर्ग ने किताब को पढ़ना प्रारंभ किया तो, उनके चेहरे के हावभाव बदल जाते हैं, क्योंकि यह कहानी उन्हीं के जीवन पर आधारित प्रतीत हो रही होती है | जो घटनाएँ उन्होंने अपनी जवानी में देखी थी, वही सारी विगतवार इस किताब में लिखी हुई थी और कहानी पढ़ते पढ़ते बुजुर्ग अपने वर्तमान काल तक पहुँच जाते हैं और उस किताब में यह भी लिखा होता है कि, आज आप एक कहानीकार की कहानी पढ़ रहे होंगे और तुम्हें अपने जीवन से जुड़ी हुई घटनाओं का बोध होगा | बुजुर्ग के चेहरे में चिंता का भाव दिखाई देता है और वह किताब लेखक को वापस कर देते हैं और कहते हैं, “इस किताब में तो, तुमने मेरी ही कहानी लिख दी है |
लेखक अभी भी अपनी रहस्यमयी रचना से अनजान होता है और वह बुजुर्ग की बात को अनदेखा करके अपनी किताब वापस, अपने थैले में रख लेता है क्योंकि, लेखक ने इस किताब में, अपने जीवन के बारे में लिखा होता है और जब वह पड़ता है, तो उसे अपने ही जीवनी नज़र आती है | कहानीकार को लगता है, कि शायद बुजुर्ग के जीवन में भी मेरी ही तरह घटनाएँ जुड़ी होंगी इसलिए उन्हें यह आभास हो रहा है, कि यह उनकी कहानी है | बुजुर्ग व्यक्ति कई लोगों से किताब की बात बताते हैं और यह बात धीरे धीरे राज्य में फैल जाती है | उस किताब को पढ़ने के लिए कुछ और लोग उस कहानीकार के पास आते हैं और कहानीकार ख़ुशी ख़ुशी उन्हें वह किताब पढ़ने दे देता है | जैसे ही वह लोग बारी बारी से किताब पढ़ते हैं तो सभी को अपना ही जीवन नज़र आता है और कहानीकार को जब सभी लोगों से एक जेसी बात सुनने को मिलती है, तो वह भी अपनी किताब पर संदेह करने लगता है | लेकिन यह बात कही से राज्य के राजा तक पहुँच जाती है और वह कहानीकार को अपने राज्य में आमंत्रित करता है | कहानीकार राजा के आमंत्रण से प्रसन्न हो जाता है | उसे लगता है, उसकी रचना इतनी अच्छी है कि, राजा भी उसे पढ़ना चाहते हैं और वह राजा के सामने उपस्थित हो जाता है | राजा अपनी सभा में बैठे होते हैं और कहानीकार से उसकी किताब की पेशकश करते हैं | कहानीकार भी उतावलेपन से, अपनी किताब राजा के सुपुर्द कर देता है और जैसे ही राजा किताब पढ़ना प्रारंभ करते हैं, उन्हें अपना अतीत नज़र आने लगता है और उनकी जिज्ञासा किताब को पढ़ने के लिए बढ़ती जाती है | वह पढ़ते पढ़ते अपने वर्तमान समय में आ जाते हैं और जैसे ही वर्तमान के बाद भविष्य का पन्ना खोलते हैं, तो उनके चेहरे के हाव भाव बदल जाते हैं, क्योंकि उस किताब में, भविष्य से जुड़े हुए पन्नों पर यह लिखा था, कि इस राज्य में पडोसी राज्य की सेना का आक्रमण होगा और राज्य के राजा की मृत्यु हो जायेगी | राजा अपनी मृत्यु की बात पढ़कर दुखी हो जाता है और वह उस बात पर पूरा यक़ीन कर लेता है, क्योंकि अतीत से जुड़ी हुई सारी बातें सच होती हैं, तो भविष्य में लिखा हुआ कैसे ग़लत होगा | वह कहानीकार से क्रोधित होकर कहता है | तुमने यह कैसी किताब लिखी है, जिसमें तुमने मेरी मृत्यु के बारे में घोषणा कर दी | कहानीकार हाथ जोड़कर कहता है, “नहीं महाराज यह तो मेरी कहानी है और मैंने इस किताब में मैंने किसी की मृत्यु के बारे में कोई बात नहीं लिखी है” तभी राजा, वह ख़िताब अपने दरबार में बैठे हुए बाक़ी सदस्यों को दिखाता है तो वह कहानी उनसे ही मिलती जुलती नज़र आती है | तभी राज्य के सेनापति कहते हैं, “महाराज ऐसा लगता है, मानो यह कोई रहस्यमयी किताब है, जिसे पढ़ने से स्वयं की कहानी ही नज़र आती है” | राजा अपनी मृत्यु की बात से टूट जाता है और अपनी सभा खंडित करके वहाँ से, एकांत कमरे में जाकर विलाप करने लगता है | सभा में मौजूद सभी, राजा की मृत्यु की बात से आहत होते हैं और वह अपने राजा की जान बचाना चाहते हैं | राजा की ऐसी हालत, किताब की वजह से हुई थी इसलिए कहानीकार को कारागार में डाल दिया जाता है और उसकी किताब राजमहल में सुरक्षित रख दी जाती है | राजा दिनोंदिन अपनी मृत्यु के ग़म से कमज़ोर होता जाता है | खाना पीना सब कुछ त्यागकर अंधेरे कमरे में एकांतवास ले लेता है |
राज्य के लोगों को लगने लगता है, कि हमें नए राजा की ताजपोशी करनी होगी, जिसके लिए राजा से आज्ञा लेनी चाहिए, क्योंकि बिना राजा के युद्ध कैसे लड़ा जाएगा लेकिन राजा के कोई पुत्र नहीं था, इसलिए राजा के सामने सेनापति को राजा बनाने के लिए प्रस्ताव रखा गया | राजा को भी यक़ीन हो गया था, कि अब वह राजपाठ संभालने की स्थिति में नहीं है और उसकी मृत्यु भी होने वाली है, तो किसी न किसी को, राज्य संभालना ही होगा इसलिए उसे यह ज़िम्मेदारी किसी योग्य सैनिक को देनी ही होगी और वह सेनापति के राजा बनने के प्रस्ताव पर मुहर लगा देता है और अपनी मृत्यु का इंतज़ार करने लगता है | सेनापति की ताज़पोशी होते ही, राज्य में संकट की दस्तक हो जाती है | उन्हें सूचना मिलती है कि, पड़ोस के राजा, उनके राज्य में क़ब्ज़ा करने के लिए, अपनी सेना के साथ, हमारे राज्य की ओर बढ़ रहे हैं और जल्दी ही वह राज्य की सीमाओं तक पहुँच जाएंगे और होता भी कुछ ऐसा ही है | सेनापति, जो कि अब राजा बन चुका था | वह पूरी सेना के साथ मुक़ाबले के लिए तैयार होता है और जैसे ही दूसरी सेना राज्य की सीमा तक पहुँचती है, उन पर यह हमला कर देते हैं | सेनापति बहुत बहादुरी से, अपनी सेना का प्रतिनिधित्व करते हैं और इनके युद्ध कौशल की वजह से दूसरे दल की सेना पराजित होने लगती हैं और उसके सैनिक उल्टे पाँव भागने लगते हैं | लेकिन इसी बीच, एक तीर राजा के मस्तक में प्रवेश कर जाता है और उसी क्षण वह, अपने प्राण त्याग देते है, लेकिन सेनापति की बहादुरी से, यह राज्य बच जाता है और राजा को जब यह बात पता चलती है, वह भागते हुए, अपने सेनापति से (जोकि राजा बन चुका था) मिलने आते हैं | इस घटना के बाद, राज्य के पुरोहित राजा से वापस राज्य संभालने का आग्रह करते हैं, लेकिन राजा अपनी मृत्यु के ख़ौफ़ से अभी बाहर नहीं आया था और वह राजपाठ की ज़िम्मेदारी, ऐसे हालात में नहीं लेना चाहता था | तभी पुरोहितों ने, उनके दिमाग़ का संशय दूर किया | उन्होंने कहा, “वह किताब, इस राज्य के राजा की मृत्यु का वर्णन कर रही थी, जोकि हो चुकी” | राजा ने पूछा, “कैसे” ? पुरोहित जवाब देते हुए कहते हैं, “राजा साहब जो सेनापति इस युद्ध में शहीद हुए, वह भी राजा के पद पर थे और किताब में जो बात लिखी थी, वह इस राज्य के राजा की मृत्यु से जुड़ी थी, न कि किसी सामान्य व्यक्ति की और अभी आप सामान्य व्यक्ति है और इस राज्य के राजा पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं और आपका काल टल गया है |
आपको यह राज्य संभालना चाहिए और उस कहानीकार को भी आज़ाद करना चाहिए, क्योंकि उसकी रचना की वजह से ही, आपकी जान बची है | अगर आप यह बात नहीं जानते तो आपको, अपनी मृत्यु की बात पहले से पता नहीं होती, तो आप ही राजा होते और सेनापति की जगह, आप वीरगति को प्राप्त होते | राजा को सारी बात समझ में आ जाती है और वह पुरोहित की सलाह अनुसार कहानीकार को आज़ाद कर देता है और उसकी रचना के लिए उसे बहुत सा उपहार भेंट करता है, लेकिन वह किताब हमेशा के लिए राज्य के तहख़ाने में गुप्त तरीक़े से रख दी जाती है और रहस्यमय कहानी का अंत हो जाता है |