जादुई जूते (Jadui jute)- (best fantasy stories of all time) कहानियां हिंदी कहानियां:
ये कहानी एक ग़रीब मोची की है, जिसने अपनी कला से जादुई जूते का निर्माण कर दिया | एक समय की बात है | एक शहर में एक मोची रहता था | वह सुबह से शाम तक, अपने काम में लगा रहता था | उसे दुनियादारी से कोई लेना देना नहीं था | सड़क के किनारे छोटी सी जगह में, वह अपना जीवन यापन करता था | उसे अपने काम में महारत हासिल था | एक से एक जूते बनाने के लिए, शहर के लोग उसी के पास आते थे | एक बार वह अपने काम में लगा हुआ था, तभी एक संन्यासी, अपने लिए जूते बनवाने का विचार लेकर उसके पास आया | उसके कपड़े फटे हुए थे और उसकी हालत भी अच्छी नहीं दिख रही थी | मोची ने संन्यासी से कहा, “बाबा जूतों के लिए चमड़ा तो, आपको ही देना पड़ेगा | मेरे पास नहीं है | आप चमड़ा लाए हैं” ? संन्यासी ने एक पेड़ की छाल मोची को दे दी और कहा तुम इसके जूते बनाओ | मोची ने जैसे ही, पेड़ की छाल को स्पर्श किया, वह सोचने लगा, कि यह तो चमड़े से भी मज़बूत है | वह संन्यासी से पूछ बैठा किस पेड़ की छाल है ये ? लेकिन संन्यासी ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे शीघ्र निकलना है | तुम अपना काम प्रारंभ करो” | तभी मोची अपने कार्य में लग गया और कुछ घंटों की मेहनत के बाद, मोची ने संन्यासी के लिए, शानदार जूते बना देता है |
मोची ख़ुशी से संन्यासी को जूते पहनने के लिए बुलाता है | कई बार आवाज़ देने पर संन्यासी उसकी आवाज़ नहीं सुनते तो, वह अपनी जगह से उठकर, सड़क पर आकर यहाँ वहाँ देखने लगता है, लेकिन संन्यासी का कहीं कुछ पता नहीं चलता | मोची परेशान हो जाता है और सोचता है, भला अब वह इन जूतों का क्या करेगा | मोची को उसकी मेहनत के पैसे भी नहीं मिले थे, इसलिए वह थोड़ा नाराज़ भी था | मोची ने सोचा, चलो शायद थोड़ी देर बाद संन्यासी बाबा आ ही जाएंगे | मोची को बैठे बैठे शाम हो गई, लेकिन संन्यासी वापस नहीं आये | मोची के दुकान बंद करने का समय हो गया था | तभी वह सोचता है, थोड़ा सब्ज़ी ले आऊँ और वह, वहीं जूते पहन लेता है, जो उसने संन्यासी के लिए बनाए थे और जैसे ही वह जूता पहनता है ,अगले ही पल वह सब्ज़ी मंडी में आकर खड़ा हो जाता है, जहाँ आने की बात वह मन में सोच रहा था | मोची बाज़ार के बीच में पागलों की तरह बर्ताव करता है, क्योंकि उसे यह बात बहुत अजीब लग रही थी, कि वह इतनी जल्दी यहाँ कैसे पहुँचा | वह सोचता है, कि उसे तो सड़क के किनारे होना चाहिए और अगले ही पल वह सड़क के किनारे खड़ा नज़र आता है | अब मोची का दिमाग़ चलना शुरू हो जाता है | उसे समझ में आना लगता है, हो न हो ये जूतों का ही कमाल है, जिसकी वजह से वह पलक झपकते ही कहीं भी पहुँच पा रहा था | इस बात को साफ़ करने के लिए, वह कई जगह मन में सोचता है और एक एक करके हर जगह पल भर में ही पहुँच जाता है |
उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था, मानो उसने जीवन में सब कुछ पा लिया था | तभी मोची इच्छा करता है, कि वह ख़ूबसूरत घर में पहुँच जाए और वह जूतों के चमत्कार से, पलक झपकते ही वहाँ पहुँच जाता है | घर की सुंदरता देखकर वह ख़ुशी से झूमने लगता है | ऐसा लगता है, मानो यह घर उसी के लिए बना हो | वह डाइनिंग टेबल में रखें अख़बार को उठाकर पढ़ने लगता है | तभी उसे अख़बारों में दो देशों के बीच में, जंग होने की ख़बर, दिखती है और उसके मन में, जंग को पास से जाकर देखने का विचार आता है और वह अपनी इच्छा अनुसार, उस स्थान पर पहुँच जाता है, जहाँ चारों तरफ़ से गोलियां चल रही होती है बम फट रहे होते हैं और जैसा ही वह जंग के मैदान में आता है, तो एक गोली उसके सीने में आकर घुस जाती है और मोची वहीं गिरकर अपना दम तोड़ देता है | मोची के बिना सोचे समझे किए गए विचार की वजह से उसका जीवन ख़त्म हो जाता है |