जादुई कहानी (jadui kahani)- (magic stories in hindi) एक गरीब परिवार की कहानी:
ये जादुई कहानी (jadui kahani) प्राचीन काल के, एक ग़रीब इंसान की है, जिसका नाम रतिलाल था | वह अपनी पत्नी के साथ, छोटे से घर में रहता था | रतिलाल दैनिक भिक्षा माँगने जाया करता और जो कुछ भी मिलता, उससे अपना और अपनी पत्नी का जीवन यापन किया करता | एक बार सारा दिन भिक्षा माँगने के बाद, उसे केवल एक मुट्ठी चावल, हाथ लगे और वह अपने घर पहुँचा, तो उसकी पत्नी दुखी होकर बोली, घर में तो अनाज का एक दाना भी नहीं बचा है और आप एक मुट्ठी चावल ही लाए हैं | भला इसमें कैसे हम अपना पेट भर सकते हैं और वह थक हार के घर में बैठा ही था, कि द्वार पर एक भिक्षुक आ जाता है और वह कुछ खाने के लिए माँगता है | रतिलाल धर्म संकट में फँस जाता है | अब वह एक मुट्ठी चावल अपनी पत्नी को दे या सामने खड़े भिक्षु को, लेकिन वह द्वार पर आए, किसी व्यक्ति को बिना कुछ दिए जाने नहीं दे सकता था, इसलिए उसने वह चावल, भिक्षुक की टोकरी में डाल दिया | रतिलाल की पत्नी, अंदर काम कर रही थी और जैसे ही वह बाहर आयी, तो रतिलाल ने, भिक्षुक को चावल देने वाली बात, बता दी और इस बात को सुनते ही, रतिलाल की पत्नी ग़ुस्से में आ गई, तभी रतिलाल ने बताया, चावल के बदले भिक्षु, उसे एक पतीला दे गए हैं और उन्होंने कहा है, कि अब से खाना इसी में बनाना | रतिलाल की पत्नी, ग़ुस्से से कहती है, “क्या इसमें पानी उबालकर दूं” क्योंकि अनाज तो है नहीं और जो आप लाए थे, उसको भी दान दे दिया और जैसे ही वह पतीले को उठाती है, तो उसे कुछ वज़न का एहसास होता है और वह पतीले को खोलकर देखती है तो चौंक जाती है, क्योंकि उसमें इन दोनों के लिए, पका हुआ खाना रखा होता है |
रतिलाल की पत्नी के चेहरे में खाने को देखकर मुस्कुराहट आ जाती है | दरअसल उसने कई दिनों से, ठीक से खाना नहीं खाया था | लेकिन रतिलाल यह नहीं समझ पा रहा था, कि वह भिक्षु तो उसे ख़ाली पतीला देकर गया था, तो इसमें खाना कहाँ से आया और वह आश्चर्य से यह बात, अपनी पत्नी को कहता है, लेकिन वह कई दिनों से भूखी है, इसलिए उसकी बात नज़रअंदाज़ करके, खाने को घूरती रहती है और अपने पति से कहती है, “बड़े दिनों बाद इतना स्वादिष्ट भोजन देखने को मिला, चलिए खाते हैं” और रतिलाल खाना खाने बैठ जाता है | लेकिन अभी भी उसका ध्यान, उसी बात पर टिका होता है क्या यह बर्तन जादुई पतीला है | भोजन करने के बाद वह अपनी पत्नी से, अपने दिमाग़ में चल रही उथल पुथल के चलते, यह बात कहने से अपने आपको रोक नहीं पाया, कि ज़रूर यह जादुई पतीला है, जिससे इच्छानुसार भोजन प्राप्त किया जा सकता है | तभी दोनों ने मिलकर पतीले का परीक्षण करने का विचार बनाया और पतीला ख़ाली करके, पतीले से दोबारा भोजन बनाने का आग्रह किया और कुछ क्षण में, उनकी इच्छानुसार भोजन बनकर, तैयार हो गया | यह देखते ही दोनों खुश हो जाते हैं, क्योंकि अब उनकी भूख हमेशा के लिए शांत हो जाएगी और उन्हें खाने के लिए, किसी और के सामने हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे | खुश होकर दोनों ने, राज्य में ऐलान कर दिया, कि वह सारे राज्य को खाना खिलाएंगे | यह बात दूर दूर तक फैल गई, कि कोई ग़रीब इंसान ऐसा धनवान बना है, जो पूरे राज्य को भोजन पर, आमंत्रित कर रहा है और अगले ही दिन रतिलाल के घर के सामने हज़ारों की तादाद में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा, जिनमें से ज़्यादातर लोग तो, यह देखने आए थे, कि भला यह ग़रीब, इतने सारे लोगों को कैसे, खाना खिला पाएगा | लेकिन देखते ही देखते एक से एक व्यंजन सबके सामने रख दिये गये और सभी को खुला आमंत्रण दे दिया गया, जितना खाना हो उतना खाइए और ज़रूरत पड़े तो घर भी ले जाइए | यह सुनते ही, राज्य के सभी लोगों ने जी भरके खाना खाया और अपने साथ अपने परिवार के लिए भी लेकर गए, लेकिन खाना ख़त्म नहीं हुआ | यह देखकर कुछ लोगों के मन में शंका उत्पन्न होने लगी है और उन्होंने राजा से जाकर शिकायत कर दी, कि महाराज ज़रूर उसने कहीं से चोरी की है, कि अन्यथा उसके पास इतना धन कहाँ से आएगा, कि वह पूरे राज्य को, भोजन करवा सकें और राजा भी सच जानना चाहता था |
राजा ने रतिलाल को अपने दरबार बुलवाया | रतिलाल ने जादुई पतीले की बात राजा से कह दी | राजा के मन में पतीले की बात सुनते ही, लालच आ गया और उसने रतिलाल से वह पतीला, प्राप्त कर लिया | लेकिन राजा के हाथ में पतीला आते ही, बेअसर हो गया | राजा को लगा, कि जादुई पतीले की बात झूठ है और उसने रतिलाल को गिरफ़्तार कर लिया और उस पर चोरी का आरोप लगाया गया | रतिलाल सबके सामने चिल्लाता रहा, “मैंने चोरी नहीं की” लेकिन उसकी बात पर किसी को यक़ीन नहीं था | राजा ने आदेश दिया, कि रतिलाल का पतीला नदी में विसर्जित कर दिया जाए और रतिलाल, जब तक अपनी चोरी की गलती स्वीकार न कर ले, तब तक कारागार में ही रखा जाए और जैसे ही पतीले को पानी में विसर्जित किया जाता है, राजा के महल में चारों तरफ़ पानी बहने लगता है और देखते ही देखते राजा का महल पानी की बाढ़ से डूबने लगता है | राजा अचानक, अपने महल की ऐसी स्थिति से घबरा जाता है | उसे समझ में नहीं आता, कि यह कैसे हो रहा है | तभी वह अपने राज्य के ज्योतिष आचार्यों से चर्चा करता है और आचार्य उसे बताते हैं, कि “तुमने एक निर्दोष व्यक्ति को, करगार में डाल कर अपराध किया है, इसलिए आपके महल की ये स्थिति हो गई है और यदि आपने उसे करगार से वापस नहीं निकाला, तो इस राज्य का सर्वनाश हो जाएगा” | उसे आभास होता है, कि उससे अधार्मिक कार्य हुआ है और वह भागते हुए रतिलाल के पास जाता है और हाथ जोड़कर कहता है, “मुझे क्षमा कर दीजिए, मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई | मेरे महल को बचा लीजिए | नादानी में मैंने, आपका जादुई पतीला नदी में विसर्जित कर दिया है, लेकिन मैं वचन देता हूँ, कि जीवन में कभी भी, आपको किसी चीज़ की कमी नहीं उन्हें दूँगा” और जैसे ही राजा ने रतिलाल को कारागार से बाहर निकाला, महल में जल का स्तर कम होने लगा | राजा ने रतिलाल को, बहुत सी दौलत भेंट की और उसे अपने शाही रथ से, उसके घर भिजवाया और एक जादुई कहानी का अंत हो गया |