काला जादू (kala jadu ki kahani)- (jadui kahani hindi mein) काले जादू की कहानी:
दुनिया के हर देश में जादूगर पाए जाते हैं, उसमें से कुछ छोटी मोटी कला दिखाकर, लोगों का मनोरंजन करके पैसे कमाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी रहस्यमय जादूगर है, जो अपने कठिन परिश्रम से काले जादू की शक्ति प्राप्त करते हैं | ऐसी ही घटनाओं से प्रेरित होकर काला जादू कहानी लिखी गई है | एक बहुत प्राचीन खंडहर था जिसे काले जादू का केंद्र माना जाता था, जिस किसी को भी जादुई शक्तियाँ सिद्ध करनी होती थी, वह उन्हीं खंडहरों में जाकर सीमित प्रयास में भी कर सकता था | कई सालों से लोग, उन्हीं खंडहरों में जाकर काली सिद्धियां प्राप्त किया करते थे | एक बार एक चोर, चोरी करके खंडहर में आकर छुप जाता है | उसी वक़्त एक अघोरी, अपनी साधना कर रहे थे | चोर की आहट पाकर, अघोरी के ध्यान में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे वह क्रोधित हो जाते हैं | अघोरी अपने काले जादू से, पल भर में पता लगा लेते हैं, कि वह चोर कहाँ छुपा है | चोर को अपने पास बुलाते ही, अघोरी उसे चेतावनी देते हुए कहते हैं, “तुमने मेरी साधना में विघ्न डाला है, इसकी सजा तुम्हें भोगनी पड़ेगी, लेकिन मैं जानना चाहता हूँ, कि तुम इस खंडहर में क्यों आए हो” ? तभी चोर, अघोरी से कहता है कि मेरे सगे भाई ने मेरी सारी संपत्ति छीन ली है और मुझे घर से बाहर निकाल दिया इसलिए, मैंने रात को, उसके घर का सारा क़ीमती सामान, चोरी किया और अपनी जान बचाकर, खंडहर में आकर छुपा हूँ | अघोरी अपनी काली शक्तियों से चोर की बात का अवलोकन कर रहे होते हैं, उन्हें एहसास होता है, कि चोर निर्दोष है | उसके साथ धोखा हुआ है | वह चोर को बदला लेने का एक अवसर देना चाहते हैं, इसलिए चोर से कहते हैं, “क्या तुम अपना बदला लेना चाहते हो” ? तभी चोर अघोरी के पैरों में गिर जाता है और कहता है, “बाबा क्या यह संभव है” ? अघोरी तुरंत पलटकर हाथ उठाकर कहते हैं, देखो यह खंडहर, यहाँ काली शक्तियों का भंडार है | अगर इसका एक प्रतिशत भी, तुमने प्राप्त कर लिया तो, तुम दुनिया को, अपने क़दमों में झुका सकते हो, लेकिन इसके लिए कठोर साधना करनी होगी, क्या तुम तैयार हो” ? चोर के पास दूसरा रास्ता नहीं है, क्योंकि वह बाहर जाएगा तो, उसकी जान जाने का ख़तरा है और खंडहर में बिना साधना के, रुकने की अनुमति नहीं होगी | चोर तुरंत हाँ कर देता है और अघोरी के साथ काला जादू सीखने के लिए तैयार हो जाता है | अघोरी सबसे पहले चोर को एक नया नाम देते हैं, “दिशांग” | चोर अपना नया नाम पाकर ख़ुश होता है | इसके बाद अघोरी दिशांग को, खंडहर के कुएँ में नहाने को कहते हैं, लेकिन उसके लिए कुएँ के अंदर रस्सी के सहारे जाना होगा | कुएँ के अंदर कई साँपों का भंडार है, लेकिन वह साँप ज़हरीले नहीं है |
कुएँ में व्यक्ति के साहस का परीक्षण होता है, क्योंकि साधना करते वक़्त, कई जीवों के आस पास होने का भ्रम उत्पन्न होता है, अगर व्यक्ति डर गया तो, उसकी सांसें रुक सकती है, इसलिए साहस का परीक्षण अनिवार्य है | कुएँ में उतरने से पहले, दिशांग को सापों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी | दिशांग, रस्सी को पकड़ कर धीरे धीरे कुएँ के अंदर उतरने लगता है | दिशांग, कुएँ के आधी दूर तक पहुँचा ही था, कि एक बहुत ही विशाल साँप पेड़ की जड़ से लटका होता है | कुएँ में घनघोर अँधेरा था है, जिसकी वजह से दिशांग की नज़र साँप पर नहीं पड़ती | दिशांग, साँप से बिना डरे नीचे उतरता जाता है | कुएँ के पानी के क़रीब पहुँचते ही, उसके गले में एक साँप, धीरे से चढ़ जाता है | दिशांग को, साँप की वजह से गुदगुदी होने लगती है जैसे ही वह अपने गले में हाथ लगाता है, उसे पता चलता है, कि यह कोई साँप है | दिशांग का हाथ, तुरंत रस्सी से, छूट जाता है और वह कुएँ के पानी में जा गिरता है | कुएँ के पानी में गिरते ही, हज़ारों साँप उसके शरीर से लिपटने लगते हैं | दिशांग डर की वजह से, चिल्लाने लगता है | तभी ऊपर से अघोरी की आवाज़ आती है, “यह तो केवल पहली सीढ़ी है, जिससे तुम घबरा गए | अभी तो बहुत सी परीक्षाएं होगी” | अघोरी की बात सुनते ही दिशांग को हिम्मत आती है | उसे समझ में आ जाता है, कि यह साँप उसे नुक़सान नहीं पहुँचाएँगे, वरना अघोरी उसे नीचे कभी नहीं आने देते | वह अपने आप को शांत करता है और कुएँ के पानी में, डुबकी लगाकर, रस्सी के सहारे ऊपर आने लगता है | ऊपर आते समय कई साँप, उसके जिस्म से होकर गुज़रते रहते हैं, लेकिन वह शान्ति से ऊपर चढ़ता जाता है | ऊपर आते ही अघोरी उसे आशीर्वाद देते हुये कहते हैं, “तुमने पहले चरण में सफलता प्राप्त की, अब तुम्हें केवल, दूसरा चरण पास करना है, जिसके लिए, एक दिन और एक रात आँखें बंद करके ध्यान करना होगा | साधना के दौरान, तुम एक अलग ही दुनिया में प्रवेश कर जाओगे, जहाँ हर पल तुम्हें कई ख़तरे दिखाई देंगे, लेकिन वास्तविकता में वह मायाजाल होगा | दिशांग, उत्साहित होकर कहता है, “साँपों की तरह न, बाबा” अघोरी ऊँचे स्वर में कहते हैं, “सावधान! कुएँ में तो सिर्फ़ तुम बेहोश हो सकते थे, क्योंकि साँप ज़हरीले नहीं थे, लेकिन ध्यान के दौरान, यदि तुम दहशत में आ गए, तो तुम्हारी धड़कनें भी रुक सकती है यह कोई आम साधना नहीं है | इस साधना की वजह से, हम अपने इच्छा अनुरूप कोई भी कार्य कर सकते हैं” | दिशांग को, अघोरी की बात से, रास्ते की उलझन का पता चल जाता है, लेकिन उसने पहले चरण में सफलता प्राप्त की थी, जिससे उसका मनोबल बढ़ चुका था |
अब वह काले जादू के दूसरे चरण के लिए, एक आसन में बैठ जाता है और अघोरी के दिए हुए मंत्रों का उच्चारण करने लगता है | दिशांग धीरे धीरे शून्य हो जाता है | उसकी साँसों की गति धीमी हो जाती है और उसके माथे में एक दिव्य रोशनी दिखाई देने लगती है | अगले ही पल, दिशांग अलग ही दुनिया में प्रवेश कर जाता है | यहाँ दैत्याकार जीव दिखाई देते हैं | इतने बड़े बड़े पक्षी की, बड़े से बड़े हाथी को भी, अपने पंजों में दबा कर ले जाए | दिशांग, साधना की वजह से, अवचेतन मन में भी, चेतन अवस्था में रहता है | वह धीरे धीरे आगे बढ़ता है | उसे एक पेड़ के ऊपर, छोटा सा घर बना दिखाई देता है | वह पेड़ की डाल की सहारे, लटक कर ऊपर चढ़ जाता है | घर के अंदर बहुत ही स्वादिष्ट खाना रखा होता है, जिसे देखते ही दिशांग के, मुँह में पानी आ जाता है | वह खाना खाने बैठ जाता है, लेकिन जैसे ही वह पहला नेवाला, अपने मुँह में डालता है, खाना उसके गले में फँस जाता है | वह गले से खाना निकालने के लिए छटपटाने लगता है | वह भागते हुए पेड़ के ऊपर से कूद जाता है | तभी उसे अचानक याद आता है, कि यह तो मायाजाल है | मुझे बिना घबराए, यह तक़लीफ सहनी पड़ेगी | वह गले के दर्द को, सहते हुए आगे बढ़ता है | उसे एक नदी दिखाई देती है | उसके ग़ले में खाना फँसा हुआ था, इसलिए वह दौड़कर नदी में पानी पीने के लिए घुस जाता है, लेकिन जैसे ही वह नदी के अंदर प्रवेश करता है, ख़ूँख़ार मगरमच्छ, उसे चारों तरफ़ से घेर लेते हैं | मगरमच्छ उसकी तरफ़ बढ़ते हैं, लेकिन दिशांग, बिना डरे पानी पीता है | उसे अब हर ख़तरा मायाजाल लगने लगता है | उसके इसी बोध के साथ, उसकी आंखें खुल जाती है और वह काला जादू की शक्तियां प्राप्त कर लेता है | अघोरी उसकी साधना से प्रसन्न हो जाते हैं, वह उसे आशीर्वाद देते हैं, जाओ दुनिया का कल्याण करो और इसी के साथ काले जादू की तिलस्मी कहानी समाप्त हो जाती है |